Why Parents Should Not Put Pressure On Children? माता-पिता के दिल में अपने बच्चों के लिए अथाह प्यार और अनंत उम्मीदें होती हैं। वे उन्हें सफलता की बुलंदियों पर देखना चाहते हैं, खुशहाल ज़िंदगी जीते हुए। लेकिन कभी-कभी इसी प्यार और उम्मीदों के बोझ तले हम बच्चों पर अनजाने में ऐसा प्रेशर डाल देते हैं, जिसका उनकी नन्ही दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्हें पढ़ाई में अव्वल आना है, नामी कॉलेज में दाखिला लेना है, फिर शानदार करियर और मोटा पैकेज, मानो जीवन का पूरा खाका पहले से ही खींच लिया गया हो।
लेकिन क्या यह सही है? क्या बच्चों पर इस तरह का प्रेशर डालना उनकी खुशियों और विकास के लिए ज़रूरी है? क्या सफलता सिर्फ अंकपत्रों और बैंक बैलेंस में ही तय होती है? क्या हम कभी इस बात पर ध्यान देते हैं कि ये ज़िम्मेदारियां उनके कंधों पर कितनी भारी पड़ती हैं, उनके नन्हे सपनों को कैसे दबा लेती हैं। आज का यह लेख इसी विषय को उठाता है - माता-पिता द्वारा बच्चों पर डाले जाने वाले प्रेशर के नुकसान और सकारात्मक पालन-पोषण के महत्व पर।
बच्चों पर प्रेशर डालने के कुछ नुकसान इस प्रकार हैं
तनाव और चिंता: बच्चों पर बहुत अधिक प्रेशर डालने से उन्हें तनाव और चिंता होने लगती है। इससे उन्हें नींद नहीं आती, उन्हें सिरदर्द होता है और वे अक्सर बीमार पड़ते हैं।
अवसाद: बच्चों पर बहुत अधिक प्रेशर डालने से उन्हें अवसाद भी हो सकता है। इससे वे उदास, निराश और जीवन से ऊबने लगते हैं।
आत्मविश्वास में कमी: बच्चों पर बहुत अधिक प्रेशर डालने से उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है। इससे वे खुद को कमजोर और अक्षम महसूस करने लगते हैं।
इसलिए, माता-पिता को बच्चों पर प्रेशर डालने से बचना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे बच्चों को प्यार और प्रोत्साहन दें। उन्हें चाहिए कि वे बच्चों को यह बताएं कि वे उन्हें कितना प्यार करते हैं और उनकी कितनी परवाह करते हैं। उन्हें चाहिए कि वे बच्चों को यह बताएं कि वे उनकी मदद करेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए।
बच्चों पर प्रेशर डालने के बजाय, माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को स्वतंत्र रूप से फैसले लेने दें। उन्हें चाहिए कि वे बच्चों को यह बताएं कि वे उनके फैसलों का सम्मान करेंगे, चाहे वह फैसला अच्छा हो या बुरा। उन्हें चाहिए कि वे बच्चों को यह बताएं कि वे उनके लिए हमेशा मौजूद रहेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए।
माता-पिता को समझना चाहिए कि बच्चे भी इंसान हैं। उनके भी सपने होते हैं और उनकी भी अपनी भावनाएं होती हैं। इसलिए, माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की भावनाओं का सम्मान करें और उन्हें उनकी पसंद का जीवन जीने दें।